DETAILS, FICTION AND NEERAJ CHOPRA BIOGRAPHY IN HINDI

Details, Fiction and Neeraj Chopra Biography in Hindi

Details, Fiction and Neeraj Chopra Biography in Hindi

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यदि खिलाड़ी वृत्तखंड या किनारे पर बनाई गई लाइनों को दौड़ते समय टच कर देता है, तो यह फाऊल माना जाता है ।

नीरज चोपड़ा की कहानी एक प्रेरणा है, जो दिखाती है कि कैसे एक छोटे से गाँव का लड़का विश्व स्तर पर अपनी पहचान बना सकता है। उनकी नेट वर्थ और सैलरी की बात करें तो:

Born to Satish Kumar, a farmer, and Saroj Devi, a homemaker, in Khandra village within the district of Panipat in Haryana condition, Neeraj Chopra would be the eldest of three siblings. He grew up in an extended family of 19, which incorporated 3 uncles. When he was a teenager, Chopra’s spouse and children concerned that he was overweight Neeraj Chopra Biography in Hindi and inspired him to join a gymnasium in Panipat for regular exercise. soon after his education sessions, Chopra would expend time within the nearby Shivaji Stadium and enjoy other young children his age throw the javelin.

भले ही नीरज के हाथ में सस्ता भाला रहा हो, परंतु उनके हौसलों की उड़ान बहुत बुलंद थी।गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले नीरज के पास जैवलिन खरीदने के साथ-साथ एक पर्सनल कोच रखने की क्षमता भी नहीं थी ।  

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डीएवी कॉलेज, चंडीगढ़ कुरूक्षेत्र विश्‍वविद्यालय, हरियाणा

नीरज चोपड़ा कहते हैं कि एक शेर हमला करने से पहले हमेशा एक कदम पीछे हटता है, मुझे लगता है कि एक एथलीट के जीवन में एक झटका भी ऐसा ही होता है।

नीरज चोपड़ा का घर हरियाणा के पानीपत जिले के खंडरा गांव में स्थित है। यही उनकी जन्मभूमि और प्रारंभिक शिक्षा का स्थान भी है।

उन्होंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए टोक्यो ओलंपिक खेलों में प्रथम स्थान प्राप्त किया और स्वर्ण पदक जीता. इसी कारण से नीरज चोपड़ा का नाम भारतीय खेल इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में शामिल हो गया.

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यह सामग्री क्रियेटिव कॉमन्स ऍट्रीब्यूशन/शेयर-अलाइक लाइसेंस के तहत उपलब्ध है;

भारतीय भाला फेंक खिलाड़ी जयवीर चौधरी ने उनकी क्षमता को पहचाना और नीरज चोपड़ा को प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया। उचित प्रशिक्षण के साथ, हरियाणा के इस खिलाड़ी ने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

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